


श्रीकृष्ण चरित मानस, एक संपूर्ण ज्ञान और कथा का स्रोत है जो हमें अपनी आंतरिक शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। हमे अध्यात्म का, शांति का और खुशहाल जिंदगी जीने का पाठ पढ़ाता है। इसमे भगवान श्री कृष्ण कहते है की, हमे अपने कर्म को समझना चाहिए। कर्मयोग सिद्धांत के माध्यम से हमें अपने कर्तव्यों को निष्ठा से पूर्ण करना चाहिए। जिससे हमें एक आत्मविश्वास की चिंगारी पैदा हो और उसकी सहायता से हम एक उद्देश्यपूर्ण जीवन जी सके।
उसी के साथ साथ हमें आत्मज्ञान की प्राप्ति करनी चाहिए। अपने स्वयं के बारे में जागरूक होना चाहिए। अपने स्वभाव, अपनी ताकत और कमजोरियों को समझना चाहिए और अपने जीवन को बेहतर ढंग से सुधारना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण कहते है की कर्म करते समय हमे फल की अपेक्षा छोड़ देनी चाहिए। बिना किसी स्वार्थ के कर्म, हमे मानसिक शांति और संतुष्टि की ओर ले जा सकते हैं। जिससे हम कठिनाइयों का सामना निडर होकर कर सकते है। वह कहते है की, जीवन मे कठिनाइयों का आना सामान्य बात है। हमें कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए, उनका सामना करना चाहिए क्योकि कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं और हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
इसी अनुक्रम मे वह हमे करुणा और दयाभाव का पाठ पढ़ाते है। वह संदेश देते है की हमे दूसरों के प्रति करुणा और दयाभाव रखना चाहिए, इस भाव से हम एक प्रेमभरी खुशहाल और संतुष्ट जिंदगी जी सकते है। श्री कृष्ण की ये शिक्षाएं हमें जीवन के पड़ाव में मार्गदर्शन करते हैं। युवाओं के लिए ये शिक्षाएं और भी अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे जीवन के उस मोड़ पर खड़े होते हैं जब उन्हें अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करना होता है। श्री कृष्ण की इन शिक्षाओं को अपने जीवन में लागू करके हम एक सफल और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।